Breaking News

बाबा कोकिलचंद विचार मंच गंगरा प्रखंड गिद्धौर जिला जमुई का app आ गया है । सभी सदस्य लिंक पर क्लिक करके तुरंत ही जुड़ें और अपना सदस्य ID कार्ड प्राप्त करे - APP link

बाबा कोकिलचंद धाम गंगरा में आपका स्वागत है !!

जय बाबा कोकिलचंद

बाबा कोकिलचंद धाम गंगरा में आपका स्वागत है !!
बाबा कोकिलचंद  आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करें !
जमुई  जनपद के जिस स्थल पर आपका पदार्पण हुआ है  वह मध्य युग के  महामानव , त्रिकाल दर्शी, काल-जयी पुरुष बाबा कोकिल चंद  की स्मृति में स्थापित  पिंड स्वरूप है जिसे राज्य एवम राज्येतर   समस्त श्रद्धालुओं ने  भक्तिपूर्वक समग्र सहयोग प्रदान कर धार्मिक धरोहर के रूप में  भव्यता प्रदान करने का भागीरथ प्रयत्न किया है। बाबा की यह पिंडी गंगरा ग्राम के उसी हिस्से पर अवस्थित है जिसे गिद्धौर के चन्देलवंशी शासक ने किसी रहस्यमयी अलौकिक उपकार के बदले में  ग्राम वासियों को प्रतिदान में बाबा की स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए दिया था।इस प्रकार यह स्थल चन्देलवंशों के इतिहास से जुड़ने के कारण ऐतिहासिक महत्व का है।
बाबा कोकिलचंद मूल रूप से कृषक थे। तत्कालीन मध्य युग के समाज के बीच आपद धर्म का सन्देश स्थापित करने के लिए एवम अपनी आत्म रक्षा के लिए जो सुकृत्य किया ,उसकी रोमांचक कथा उनके इस स्थल को धर्म- धाम बनाती है ।  जंगल से लकड़ी लाने के क्रम में उनका सामना एक बाघ से हुआ ।बाबा ने उसे मार गिराया । जब मृत बाघ की सहगामिनी बाघिन क्रोध में सामने आई तो बाबा को साक्षात शक्ति स्वरूपा माँ के दर्शन हुए । आपद धर्म का  तत्क्षण निर्वाह करते हुए बाबा ने स्वयं को माँ के समक्ष आत्मार्पण कर नश्वर काया से मुक्ति पा ली ।
इसके उपरांत अपनी आलौकिक शक्ति से वैद्यनाथ धाम (देवघर ) स्थित शिव मंदिर का त्रिशूल झुकाकर  मंदिर प्रांगण में शिव पार्षद के रुप में स्थान पाया ,    यह धर्म-  धाम ही पिंडी के स्वरूप में विद्यमान है।
मध्य युगीन भारत में स्त्रियों पर  तरह- तरह के अत्याचार होते रहते थे । मदिरा , और मैथुन ही उस युग की जीवन चर्या थी । बाबा कोकिल चंद जीवन पर्यंत  इन सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध रहे । कृषकों के द्वारा उत्पादित अन्न की सतत रक्षा करने को कहा करते थे। अन्न की बर्बादी को रोकने के लिए विगत सात सौ वर्षों से  प्रत्येक वर्ष  नवान्न पूजा(नेमान पर्व)  7तथा आसाढ में आसाढी पूजा गंगरा गाँव की एक प्राचीन परंपरा है, जो   इस मंच का आवश्यक अनुष्ठान है । बाबा कोकिलचंद  का त्रिसूत्रीय संदेश आज भी प्रासंगिक है जो इस प्रकार है :
  1.  शराब से दूर रहना
  2.  अन्न की रक्षा करना
  3.  नारी का सम्मान करना  ।
 बाबा कोकिलचंद  विचारमंच ट्रस्ट का उद्देश्य -
  1.  बाबा के अनुशासन  त्रिसूत्र को क्रियान्वित करना ,
  2.  रामनवमी 24/3/2010 से   शुभारंभ  बाबा कोकिलचंद  का भव्य मंदिर निर्माणकार्य पूरा करना ,
  3.   बाबा दरबार में 2009  से शुभारंभ सामूहिक सोमवारी आरती पूजन अनवरत जारी रखना ,
  4.  2015 से संचालित सामूहिक दीपावली मनाना ,  
  5.  बागवानी , पुस्तकालय , सौंदर्यीकरण,
  6.  बाबा दरबार में आदर्श विधिव्यवस्था स्थापित करना तथा परिसर की घेराबंदी करना ,
  7.  समाजिक एवं उत्कृष्ट कार्य करनेवाले लोगों को  प्रोत्साहित एवं सम्मानित करना ,
  8.  राज्य सरकार से धार्मिक पर्यटन के रुप में विकसित करने की माँग पूरी करना
  9.  कोकिलचंद धाम को एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित करना।
  10.  गंगरा ग्राम को पूर्ण शराबमुक्त ऐतिहासिक ग्राम के रूप में पहचान दिलाना।

श्रद्धालुओं की साहसिक स्वीकार्यता के आधार पर अब यह विचार मंच न्यास ( ट्रस्ट) के रूप में  बिहार सरकार के  जिला निबन्धन कार्यालय जमुई द्वारा निबन्धित है जिसकी निबन्धन संख्या 4201/2022 है ।

*आग्रह:

बाबा कोकिलचंद धाम गंगरा  का भव्य मंदिर निर्माण ,सौंदर्यीकरण एवं  आदर्श विधिव्यवस्था स्थापित करने हेतु  मंदिर निर्माण यज्ञ में दान रूपी समिधा डालकर पुण्य का भागी बनें ।
*खाता विवरण:
A/C - 41053277385
IFSC code- SBIN0017418 

 बैंक ब्रांच SBI Gidhaur
Mobile -9939638084

*न्यास के कार्यकलापों की सूची अलग से प्रकाशित है जिसका मंच के वेवसाइट   पर अवलोकन किया जा सकता है।
वेबसाइट:
                                  
                   निवेदक  
बाबा कोकिल चंद विचार मंच ट्रस्ट      
                    गंगरा

1 comment:

  1. Please add a gallery page and upload relevant photographs.

    ReplyDelete

आपके सुझाव/विचार सादर आमंत्रित हैं.